Monday 5 October 2015

महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय में अव्यवस्थाओं का यह आलम है कि कुलाधिपति राज्यपाल तक के आदेशों तक को तवज्जो नहीं दी जाती। प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए राज्यपाल ने 8-प योजना लागू की थी। इसके अंतर्गत विवि में प्रवेश, पढ़ाई, पाठ्यक्रम, परीक्षा, परिसर, परीक्षण, परिणाम, पुनर्मूल्यांकन व पदक को शामिल किया गया है। लेकिन विवि ने इन 8-प को तरजीह तक नहीं दी।
राज्यपाल कल्याण सिंह ने गत मई माह में कुलपति समन्वय समिति की बैठक में विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक व्यवस्थाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए 8-प को सुनिश्चित करने के आदेश दिए थे। लेकिन गत 5 मई से अब तक किसी विश्वविद्यालय ने इसकी पालना नहीं की।


ये है स्थिति
प्रवेश : आदेशानुसार विवि को 30 जुलाई तक प्रवेश प्रक्रिया पूरी करवाकर पढ़ाई शुरू करवानी थी। लेकिन विवि में कई कोर्सेज में अब तक प्रवेश जारी हैं। जबकि कई कोर्स तो एेसे हैं जिनमें पढ़ाई कब शुरू होगी यह भी कह पाना मुश्किल है।
पढाई(पाठ्यक्रम): योजना के अनुसार अगस्त तक विवि की ओर से पाठ्यक्रम जारी हो जाना चाहिए था। लेकिन अक्टूबर शुरू हो चुका है और अब तक कई संकाय के पाठ्यक्रम जारी नहीं किए गए हैं। इससे विवि से सम्बद्ध महाविद्यालयों में सुचारू ढंग से पढ़ाई नही हो पा रही है।
परीक्षण : कुलाधिपति के आदेशानुसार विद्यार्थियों द्वारा हर माह शिक्षकों की क्वालिटी रिपोर्ट देनी है। इसके लिए पूर्व कुलपति भागीरथ सिंह के दौरान क्वालिटी असेसमेंट सैल का गठन किया गया था। लेकिन विवि में अब तक किसी प्रकार का परीक्षण नही किया जा रहा है।
परिसर : इसके तहत विवि परिसर पूरी तरह से शैक्षणिक माहौल में रंगा होना चाहिए। किसी प्रकार की रैंगिंग, लड़ाई-झगड़े, गंदगी व अन्य अव्यवस्थाएं परिसर में नही होनी चाहिए। वहीं इसके उलट विद्यार्थी की समस्या विवि द्वारा नही सुनने के कारण हाल ही में रैगिंग का मामला सामने आया है, इसके अतिरिक्त विवि शैक्षणिक परिसर कम बगीचा ज्यादा दिखाई पड़ता है। कक्षाएं नही लगने से गिने-चुने विद्यार्थी परिसर में दिखाई पड़ते हैं।
परीक्षा : परीक्षा के मामले में भी विवि काफी पीछे है। सेमेस्टर प्रणाली के अनुसार होने वाली परीक्षाओं का कार्यक्रम तय नहीं हो पाया है। परीक्षा से कुछ दिन पहले तिथियां और टाइम टेबल घोषित करने की प्रवृत्ति बनी हुई है। यूजीसी के आदेशानुसार होने वाले मिड टर्म व इंटरनल परीक्षाओं का अता-पता नही है। ज्यादातर विद्यार्थी इंटरनल परीक्षाएं समय पर नही देते हैं जिन्हे दोबारा बुलवाकर अलग से परीक्षाएं करवाई जाती हैं।
परिणाम : विश्वविद्यालय का दायरा परीक्षा आयोजन तक सिमट गया है। नियमानुसार प्रतिवर्ष 30 जून तक स्नातक और स्नातकोत्तर परीक्षाओं के सभी परिणाम निकालने जरूरी हैं। इसकी पालना में विश्वविद्यालय सदैव फिसड्डी रहा है। कुलपति प्रो.कैलाश सोडाणी ने बीते वर्ष परीक्षा और परिणाम का कैलेंडर बनाने को कहा था, जिसका अता-पता नहीं है। परीक्षा परिणामों में आए दिन त्रुटियां उजागर होती हैं। इससे बड़ी संख्या मात्रों में विद्यार्थियों को पुनर्मूल्यांकन करवाना पड़ता है ... नही राज्यपाल के आदेशों से मतलब

Source: Rajasthan News in Hindi 

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