Wednesday, April 09, 2014 by Unknown
जयपुर। राजस्थान में लोकसभा चुनाव में दो साधुओं के संसद पहुंचने की चाहत, दो भाईयों की लड़ाई तथा दो नेताओं के बगावती तेवर के साथ दो खिलाडियों के ग्लेमर का तड़का लगने से मुकाबला रोचक हो गया है।
प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में अलवर और सीकर में भारतीय जनता पार्टी ने दो साधुओं को चुनाव मैदान में उतारा है। सीकर में साधु समेधानन्द को उम्मीदवार बनाने से पार्टी में बगावत के हालात पैदा हो गए तथा पूर्व सांसद सुभाष महरिया ने बगावत कर निर्दलीय ताल ठोक दी।
अलवर में बाबा चांदनाथ राजनीति में नए नहीं हैं तथा वह वर्ष 2008 में बहरोड से विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह से है। भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रहे मोहम्मद अजहरूद्दीन तथा अन्तरराष्ट्रीय निशानेबाज राज्यवर्द्धन सिंह ने भी चुनाव को रोचक बना दिया है।
दौसा संसदीय क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस ने दो भाईयों को लड़ा दिया है। कांग्रेस के केन्द्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा ने पिछला चुनाव टोंक-सवाईमाधोपुर से जीता था जहां इस बार क्रिकेटर मोहम्मद अजहरूद्दीन ने उनका टिकट कटवा दिया। नमोनारायण मीणा ने इस पर दौसा से चुनाव लड़ने का मन बनाया लेकिन इस बीच भाजपा ने उनके छोटे भाई हरीश चन्द्र मीणा को मैदान में उतार दिया।
कांग्रेस के पास एक और दमदार उम्मीदवार डॉ. किरोड़ी लाल मीणा और उनके छोटे भाई जगमोेहन मीणा का भी प्रस्ताव था लेकिन नमोनारायण ने कांग्रेस आलाकमान पर भाई के सामने ही लड़ने का दबाव बनाया। कांग्रेस ने भाई से लड़ने के उनके प्रस्ताव को मान लिया तब डॉ. किरोडी लाल मीणा चुनाव में यह कह कर उतर गए कि यह फिक्सिंग का मामला है। अभी तक क्रिकेट में यह शब्द ज्यादा चर्चित था जो राजनीति में भी सुनाई देने लगा है।
डॉ. मीणा ने इस सीट से वर्ष 2009 में निर्दलीय के रूप में चुनाव जीता था तथा गत विधानसभा चुनाव में वह राजपा के टिकट पर लालसोट से विजयी रहे थे। भाईयों की इस लड़ाई में पगड़ी का मुद्दा भी उछला है। बडे भाई ने कहा कि बड़ा होने के नाते पगड़ी मेरे सिर पर ही बंधेगी जबकि जवाब में छोटे भाई का कहना है कि अब रवायत बदल गई है तथा लोकतंत्र में जनता जिसे चाहेगी उसी के सिर पगड़ी बांधेगी।
इस चुनाव में पार्टी के फैसले के खिलाफ बगावतऔर पिता पुत्र की विवशता का नजारा भी दिखाई दे रहा है। भाजपा से बगावत करने वाले जसवंत सिंह पार्टी में एक दमदार नेता माने जाते थे लेकिन कांग्रेस से पाला बदल कर चुनाव से ठीक पहले भाजपा में आए कर्नल सोनाराम चौधरी उन पर टिकट के मामले में भारी पड़ गए। पार्टी नेतृत्व के निर्णय पर सवाल करना जसवंत सिंह ने आवश्यक समझा और बाडमेर-जैसलमेर सीट से निर्दलीय खड़े हो गए।
भाजपा का यह मानना है कि जसवंत सिंह को पार्टी ने बहुत कुछ दिया लेकिन वह निष्ठा की एक छोटी सी परीक्षा में भी सफल नहीं हुए। जसवंत सिंह के मैदान में उतरने से उनके पुत्र एवं शिव से भाजपा विधायक मानवेन्द्र सिंह पसोपेश में पड़ गए तथा पहले उन्होंने पार्टी से एक माह की छुट्टी मांगी लेकिन बाद में वह अपने पिता के संग्राम में कूद पडे। भाजपा ने हालांकि अभी तक मानवेन्द्र सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।
चुनाव में दो खिलाड़ी भी मैदान में हैं। क्रिकेटर अजहरूद्दीन केन्द्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा पर भारी पड़े और उनका टिकट कटवा कर टोंक-सवाईमाधोपुर सीट से चुनाव मैदान में कूद पड़े। राजनीति पर क्रिकेट की चकाचौंध टिकट के मामले में भारी पड़ गई तथा चुनाव में इसकी परीक्षा होनी बाकी है। उत्तर प्रदेश में मुराबाद से सांसद रहे अजहरूद्दीन अपनी पत्नी अभिनेत्री संगीता बिजलानी के ग्लेमर का भी सहारा ले रहे हैं।
क्षेत्र में नए होने के कारण लोगों को जोड़ने का यह उनका अनूठा प्रयास है। भाजपा ने भी यहां से बाहरी उम्मीदवार सुखवीर सिंह जौनपुरिया को मैदान में उतारा है तथा राजपा ने भी राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे जगमोहन मीणा को खड़ा किया है।
निशानेबाज राज्यवर्द्धन सिंह जयपुर ग्रामीण सीट से केन्द्रीय मंत्री रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीपी जोशी के सामने भाजपा के टिकट पर खड़े हुए हैं। निशानेबाजी में माहिर सिंह का निशाना चुनाव में भी लक्ष्य पर लगता है या नहीं यह तो 16 मई को आने वाला परिणाम ही बताएगा लेकिन वह जोशी के लिए बड़ी चुनौती बनते दिखाई दे रहे हैं।
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