रिलायंस जियो देश में केवल 4जी सेवा ही प्रदान कर रही है। यही इसकी खूबी है और कुछ मामलों में कमी भी। हर किसी को जियो की मुफ्त कॉलिंग-टेक्स्टिंग-रोमिंग बहुत पसंद आ रही है जो बिल्कुल सही भी है। लेकिन सभी यूजर्स को शायद पता न हो कि जियो की इनकमिंग-आउटगोइंग का फायदा उठाने के लिए हर वक्त मोबाइल डाटा को ऑन रखना पड़ेगा।
कई लोगों को हर वक्त मोबाइल डाटा ऑन रखने की बात सुनने में कोई हैरानी नहीं होगी। लेकिन यह ऐसी बात है जो वाकई जियो यूजर्स के लिए चिंता का कारण बन सकती है। इसके अलावा यह भी जानना बहुत जरूरी है कि क्यों जियो यूजर्स द्वारा मोबाइल डाटा बंद करते ही उनके फोन पर इनकमिंग-आउटगोइंग बंद हो जाएंगी? दरअसल इसके पीछे थोड़ी तकनीकी बाधा है जिसे कैच न्यूज आपको बेहद आसानी से समझाता है।
जानें 2जी, 3जी और 4जी
दरअसल यह तीनों नेटवर्क की जनरेशन के शॉर्ट फॉर्म हैं यानी सेकेंड जनरेशन (2जी) फॉर वायरलेस मोबाइल टेलीकम्यूनिकेशन, थर्ड जनरेशन (3जी) और फोर्थ जनरेशन (4जी)। इन जनरेशन के बढ़ने के साथ ही मोबाइल टेलीकम्यूनिकेशन में डाटा की रफ्तार बढ़ जाती है।
3जी को जहां डब्लूसीडीएमए, यूएमटीएस, एचएसपीए भी कहा जाता था, 4जी को एलटीई (लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन) कहा जाता है। आजकल आने वाले तमाम 4जी स्मार्टफोन एलटीई आधारित होते हैं।
एलटीई और वीओएलटीई
चूंकि यहां पर बात जियो नेटवर्क के संबंध में हो रही है इसलिए यह जानना बहुत जरूरी है कि वोल्टे (वीओएलटीई) क्या होता है। एलटीई एक तरह से 4जी का समानार्थी शब्द है। जबकि वोल्टे एक प्रोटोकॉल है जिसे एलटीई पर इस्तेमाल करते हैं।
सीधे शब्दों में वॉयस ओवर एलटीई (वोल्टे) का मतलब होता है एलटीई पर वॉयस कॉलिंग या फिर 4जी पर वॉयस (आवाज) का डाटा पैकेट्स के रूप में ट्रांसफर। यानी 2जी या 3जी की तुलना में वोल्टे पर बिल्कुल अलग तरह से बातचीत होती है।
बातचीत को डाटा के छोटे-छोटे पैकेटों को मिलाकर एक बड़ा बंडल बना दिया जाता है और इसका डाटा ट्रांसफर के जरिये कॉलर-रिसीवर के बीच आदान-प्रदान किया जाता है। चूंकि यह डाटा ट्रांसफर 4जी पर होता है इसलिए कॉल क्वॉलिटी काफी अच्छी होती है। इसलिए बिल्कुल आम यूजर्स को यह समझना जरूरी है कि एलटीई एक कार है जबकि वोल्टे उसमें लगा म्यूजिक सिस्टम।
जियो में डाटा बंद-कॉलिंग बंद
अब जब आपको पता चल गया है को वोल्टे के लिए एलटीई होना जरूरी है तो आप यह भी समझ गए होंगे कि इसके लिए आपको डाटा कनेक्टिविटी की जरूरत है। यानी कभी भी कॉलिंग-रिसीविंग के लिए हर वक्त इंटरनेट से जुड़ा रहना जरूरी है। इसके लिए यूजर को हर वक्त मोबाइल डाटा खुला रखना होगा। मोबाइल डाटा ऑन रहेगा तो कॉलिंग होती रहेगी। लेकिन जैसे ही यह बंद हो जाएगा कॉलिंग की सुविधा भी खत्म हो जाएगी। इसलिए ही जियो की सेवाएं केवल एलटीई फोन पर उपलब्ध हैं। 2जी या बेसिक हैंडसेट्स पर जियो सिम डालने का कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि उनमें वोल्टे नहीं होता और कॉलिंग नहीं हो सकेगी।
हर वक्त डाटा खुला रहने पर क्या होगा?
- अब जब यह बात पता चल गई कि कॉल करने और रिसीव करने के लिए हर वक्त मोबाइल डाटा ऑन रहना चाहिए, यह भी जान लीजिए कि इसके क्या फायदे और नुकसान हैं।
- दरअसल हर स्मार्टफोन में तमाम ऐप्स होते हैं जो बैकग्राउंड में चलते रहते हैं। स्मार्टफोन के यह ऐप इंटरनेट यानी डाटा के जरिये चलते हैं। ऐसे में हर वक्त डाटा ऑन रहने से यह डाटा की खपत करेंगे. अब तक मोबाइल डाटा ऑन-ऑफ करके जो भी डाटा आप बचा लेते थे, वो नहीं बच पाएगा।
- हर वक्त मोबाइल डाटा ऑन रहने से स्मार्टफोन की बैटरी जल्दी खत्म होगी क्योंकि फोन के सारे ऐप हर वक्त इंटरनेट से जुड़े रहकर कुछ न कुछ नया नोटिफिकेशन या अपडेट देते रहेंगे. ऑल टाइम डाटा कनेक्टिविटी का नुकसान ऐसे में जल्द मोबाइल डिस्चार्ज होने के रूप में सामने आएगा और सामान्य बैटरी वाले यूजर को दिन में कम से कम तीन बार चार्जिंग की जरूरत पड़ेगी।
- ऐसे स्थानों पर जहां 4जी नेटवर्क नहीं आता है या फिर आपके फोन में डाटा कनेक्टिविटी नहीं आ रही, कॉलिंग उपलब्ध नहीं हो सकेगी।
- इतना ही नहीं नॉन वोल्टे फोन के लिए जियो कॉलिंग के लिए जियो ज्वाइन ऐप का इस्तेमाल करना होगा, जिसके लिए हर वक्त डाटा कनेक्टिविटी की जरूरत पड़ेगी। इस ऐप में थोड़ा सा पंगा या नेट कनेक्टिविटी में डिस्टर्बेंस बातचीत में बाधा डाल देगा।