Thursday 25 February 2016

रियासतकाल में भी उदयपुर में ट्रेन चलती थी, लेकिन सरकार के हाथ में रेलवे की बागडोर क्या आई मेवाड़ मानो उपेक्षित हो गया। रेल बजट में दक्षिणी राजस्थान को कभी तरजीह नहीं मिली। यहां रेल लाइनें डालने और ब्रॉडगेज की सुविधा देने में रेलवे का रवैया सौतेला ही रहा है। उदयपुर-अहमदाबाद, मावली-मारवाड़ रेलमार्ग हो या मावली-नीमच और रतलाम-डूंगरपुर सभी क्षेत्रों में वर्षों से उपेक्षा झेल रहे इस क्षेत्र को रेलवे से कई उम्मीदें हैं। इन लाइनों के पूरा होने से जहां विकास की गति मिलेगी, प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के लिए भी ये लाइनें काफी महत्वपूर्ण और सुविधाजनक होंगी। स्मार्ट सिटी की राह पर चल पड़ी लेकसिटी को कई नई गाडि़यों की दरकार है, लेकिन आमान परिवर्तन के अधूरे काम पूरे होने पर ही उदयपुर देश के अन्य बड़े शहरों से जुड़ सकेगा।

करीब आठ वर्ष पूर्व उदयपुर-अहमदाबाद आमान परिवर्तन को हरी झंडी मिली थी, लेकिन पूरा बजट नहीं दिए जाने से यह कार्य पिछड़ता गया। पांच वर्ष में पूरा होने वाला यह कार्य करीब दस वर्ष में पूरा होगा। बशर्ते इसके लिए जरूरत के अनुसार बजट मिलता  रहे। जानकारों की मानें तो इस वर्ष उदयपुर-अहमदाबाद आमान परिवर्तन के लिए    कम से कम 250 करोड़ रुपए की स्वीकृति जरूरी है। इसके साथ ही डूंगरपुर-रतलाम, मावली-मारवाड़ और बड़ीसादड़ी-नीमच के लिए बड़ी राशि की जरूरत है। इससे यह क्षेत्र चारों ओर से रेल लाइनों से जुड़ेगा
Rail Budget 2016
 
...तो पूरा हो जाता उदयपुर-अहमदाबाद मार्ग
गोपीराम अग्रवाल ने बताया कि उदयपुर-अहमदाबाद ब्रॉडगेज लाइन के सर्वे में इसे लाभदायी बताया गया था। इसके बाद रेलवे की ही संस्था रेल विकास निगम लिमिटेड ने इस कार्य को हाथ में लेने और इसे पांच वर्ष में पूरा करने की पेशकश की थी। इस पर रेल प्रबंधन ने शर्त लगा दी कि यह संस्था रेल वित्त निगम से राशि नहीं लेगी। अब यह कार्य रेलवे अपने स्तर पर करवा रहा है। इसी फेर में काम अटक-अटक कर चल रहा है।

क्यों अटका रतलाम-डूंगरपुर का कार्य
रतलाम-डूंगरपुर का कार्य अटकने के पीछे सबसे बड़ा कारण गलत समझौता रहा। वर्ष 2011 में जब राज्य सरकार और रेलवे एमओयू कर रहे थे। इसके तहत इस लाइन के लिए राज्य सरकार और रेलवे को आधी-आधी राशि देनी थी। तब अग्रवाल ने पत्र लिखकर ऐसा नहीं करने की चेतावनी दी थी, क्योंकि राज्य सरकार के पास इतनी बड़ी राशि नहीं थी। एमओयू होने के बाद में राज्य सरकार ने राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम से रेलवे को 200 करोड़ नकद एवं करीब 100 करोड़ रुपए भूमि अधिग्रहण के नाम पर व्यय करवा दिए। इस पर राज्य के महालेखाकार ने 28 जुलाई, 2014 को उक्त भुगतान को निगम के उद्देश्यों के विरुद्ध बताते हुए इस पर रोक लगा दी। ऐसे में यह कार्य अट गया।

ऐसे होता पूरा
राज्य सरकार को गुजराज की तर्ज पर एमओयू करना था। इसके तहत 25 प्रतिशत राशि रेलवे और प्रदेश सरकार देती। शेष राशि किसी वित्तीय संस्था से कर्ज लेकर कार्य करवाया जाता।

मिल सकता है बजट
अग्रवाल ने बताया कि 31 दिसंबर, 2015 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक निर्णय किया है। इससे उम्मीद फिर जगी है। देश के लाभदायक रेलवे प्रोजेक्ट के लिए रेलवे एवं संबंधित राज्य सरकारों द्वारा एक ज्वॉइंट वेंचर कंपनी बनाकर करीब 25 प्रतिशत राशि का आधा-आधा वहन करने और शेष राशि भारतीय जीवन बीमा निगम जैसी वित्तीय संस्था से ऋण लेने का निर्णय लिया गया है। रतलाम-डूंगरपुर रेल लाइन भी सर्वे के अनुसार लाभदायक प्रोजेक्ट के तहत आती है।

जानकारों की राय

इस बार मिले 250 करोड़
दक्षिण-पश्चिम रेलवे परामर्श समिति के पूर्व सदस्य प्रकाश मांडोत ने बताया कि गत बजट में उदयपुर-हिम्मतनगर ब्रॉडगेज को छोड़ दिया जाए, तो मेवाड़ को खास नहीं मिला। उदयपुर पर्यटन के साथ ही खनिज से भरपूर क्षेत्र हैं। एेसे में यहां रेल परिवहन बढऩे पर रेलवे को अच्छी आय होगी। इस बार उदयपुर-अहमदाबाद वाया हिम्मतनगर के लिए 250 करोड़ की राशि जारी हो और कार्य में तेजी लाई जाए।

मावली-मारवाड़ ब्रॉडगेज हो
छगनलाल बोहरा का कहना है कि मावली-मारवाड़ मार्ग को ब्रॉडगेज करने लिए केवल सौ किलोमीटर ही लाइन डालनी है। इससे मेवाड़ सीधा मारवाड़ से जुड़ जाएगा। यह मार्ग दक्षिण से आने वाली ट्रेनों के लिए भी सहज और सुलभ होगा। कामली घाट में पहले ही मीटरगेज लाइन है। इसी के समानांतर एक और लाइन डाली जा सकती है। इसके लिए रक्षा मंत्रालय और पर्यटन से भी बजट लिया जा सकता है।

उद्योगों को लाभ
पूर्व सांसद शांतिलाल चपलोत का मानना है कि रेलवे की दृष्टि से मेवाड़ काफी उपेक्षित रहा है। यह पर्यटन स्थल, खनिज, सोप्ट स्टोन, मार्बल आदि के लिए विख्यात है। यहां औद्योगिक विकास के लिए सस्ती माल ढुलाई की आवश्यकता है। यह  रेल के माध्यम से आसान होगी। मारवाड़ से जुडऩे पर आपात स्थिति में यह मार्ग सैन्य छावनियों से पाकिस्तान सीमा तक पहुंचने का सबसे छोटा मार्ग है। बड़ीसादड़ी से नीमच का मार्ग भी जोड़ा जाना चाहिए। इससे मेवाड़ सीधे मध्यप्रदेश से जुड़ जाएगा।

मेवाड़ की अर्थव्यवस्था बदलेंगी ये लाइनें
रेलवे मामले के विशेषज्ञ केएस मोगरा के मुताबिक उदयपुर-अहमदाबाद ब्रॉडगेज लाइन और रतलाइन-डूंगरपुर लाइन मेवाड़ की अर्थव्यवस्था बदल देगी। बांसवाड़ा में भरपूर पानी है। यहां रेललाइन आने के साथ ही एटोमिक और एक थर्मल दो पावर स्टेशन शुरू हो सकेंगे। इससे बिजली की कमी नहीं रहेगी। उद्योगों को जरूरी पानी, पावर, सस्ती भूमि, सस्ते श्रमिक आदि सभी सुविधाएं इस क्षेत्र में मिलेंगी। यहां पैदा होने वाले अनाज, फल आदि से उत्पाद तैयार करने के लिए भी उद्योग शुरू होंगे। टैक्स के रूप में राज्य सरकार की आय में भी बढ़ोतरी होगी। उदयपुर-अहमदाबाद आमान परिवर्तन को इस बार पिंक बुक में लेना चाहिए, ताकि राशि की परेशानी नहीं हो।

जनप्रतिनिधि बोले
अहमदाबाद-उदयपुर ब्रॉडगेज कार्य के लिए पूरी राशि स्वीकृत हो और यह कार्य जल्द पूरा हो। प्रशासनिक और जन प्रतिनिधियों की ओर से पूरा सहयोग है। जमीन अवाप्ति का कार्य भी लगभग पूरा हो चुका है। दक्षिण भारत के प्रमुख शहरों से उदयपुर के लिए टे्रनों का संचालन शुरू हो। अजमेर तक चलने वली पूजा एक्सप्रेस, हरिद्वार एक्सप्रेस के फेरे उदयपुर तक बढ़ाए जाएं और अतिरिक्त कोच लगे। मारवाड़ के लिए ब्रॉडगेज लाइन का कार्य शुरू हो। इन सभी की  समय-समय पर मांग करने साथ ही संसद में सवाल भी लगाया गया है।
- अर्जुनलाल मीणा, सांसद, उदयपुर।
लोकसभा क्षेत्र के लिए कुछ मांगें रेल मंत्रालय को भेजी हैं। इनमें मावली-मारवाड़ ब्रॉडगेज करने की मांग प्रमुख है। आने वाले दिनों में अहमदाबाद-उदयपुर मार्ग ब्रॉडगेज होने से पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा। माल परिवहन से अच्छा राजस्व मिलेगा। मारवाड़ नहीं जोड़ा जाता है, तो देवगढ़ से ब्यावर और कांकरोली से भीलवाड़ा को जोड़ा जाए। जेतारण के बर से बिलाड़ा को जोड़ा जाए। अजमेर से पुष्कर चल रही ट्रेन को मेड़ता तक बढ़ाया जाए।
- हरिओमसिंह राठौड़, सांसद, राजसमंद।
रतलाम-बांसवाड़ा-डूंगरपुर की लाइन के लिए रेल मंत्रालय को लिखा है। मंत्रालय ने जमीन अवाप्ति की राशि राज्य सरकार द्वारा वहन करने की स्थिति में कार्य शुरू करने का आश्वासन दिया है। गत दिनों मुख्यमंत्री से भी चर्चा हुई। इस लाइन को लेकर उनका रुझान सकारात्मक है। अब तक बड़ी मात्रा में  किसानों को मुआवजा दे चुके हैं। सौ करोड़ का मुआवजा देना बाकी है। टेपर में थर्मल पॉवर प्लांट जमीन का विवाद भी मुआवजे से  निपटने वाला है।  उम्मीद है कि इस लाइन के लिए बजट में जरूर घोषणा होगी।
- मानशंकर निनामा, सांसद डूंगरपुर, बांसवाड़ा।
मैंने  उदयपुर-अहमदाबाद आमान परिवर्तन का काम तेज गति से करवाने पर जोर दिया है। भूमि अवाप्ति का कार्य जल्द ही पूरा हो जाएगा। गत बजट की घोषणा के अनुसार उदयपुर-चित्तौडग़ढ़-अजमेर मार्ग का विद्युतीकरण होना है। इस दिशा में कार्य शुरू हो गया है। विद्युतीकरण के बाद इस क्षेत्र में तेज गति से चलने वाली ट्रेनें भी आएंगी। बड़ीसादड़ी-नीमच की मांग लंबे से है। उम्मीद है कि बजट में कोई प्रस्ताव आए। आने वाले दिनों में रेल, रक्षा और स्टेट मिलकर कार्य करेंगे। मावली-मारवाड़ ब्रॉडगेज के सर्वे में इस मार्ग को ज्यादा लाभदायक नहीं माना गया।
-सीपी जोशी, चित्तौड़, सांसद।
ब्रॉडगेज उदयपुर के विकास के लिए अहम है। इसके लिए राशि जारी कर गति देनी आवश्यक है। यहां प्राकृतिक खनिक के भंडार होने के साथ ही पानी की कमी भी नहीं है। बांसवाड़ा में पावर प्लांट लगने के बाद बिजली की समस्या भी समाप्त हो जाएगी। पर्यटन के क्षेत्र में भी उदयपुर विश्व में अपनी अलग ही पहचान रखता है।  ऐसे में इस क्षेत्र का भविष्य काफी सुदृढ़ दिखाई दे रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए रेल का बजट जारी किया जाना चाहिए।
- हरीश राजानी, सदस्य, अजमेर जोन रेलवे सलाहकार समिति।

 
Suresh Prabhu
 
रेल मंत्री सुरेश प्रभु गुरुवार दोपहर 12 बजे संसद में रेल बजट पेश करेंगे। सूत्रों के अनुसार प्रभु ने बजट को अंतिम रूप दे दिया है। बैक डोर से यात्रियों की जेब काटी जा सकती है। रेल बजट के लिए ट्विटर पर भी खास तैयारी है। हर एक ऐलान ट्वीट होगा। 
 
यह हो सकता है खास
कस्टमर सर्विस पर ज्यादा जोर।
यात्रियों की असुविधा घटाएंगे।
किराया सीधे नहीं बढ़ेगा, लेकिन बैक डोर से बढ़ सकता है।
यात्रा को हाईटेक बनाने पर जोर। वाई-फाई जैसी सुविधाएं शामिल।
सफाई पर रहेगा खास जोर।
नई गाडिय़ोंं का ऐलान संभव नहीं।
लग्जरी क्लास में कुछ सब्सिडी कम की जा सकती ताकि इस श्रेणी का किराया न बढ़े।
 
कम कागज इस्तेमाल
रेल मंत्रालय ने इस बजट को तैयार करने में पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखा। कागज पर खर्च में कमी की। बजट पेश के लिए ए4 साइज के 12 लाख शीट की कमी लाई गई।
 
केंद्र सरकार गुरुवार को रेल बजट पेश करेगी। प्रभु कृपा हुई तो हाड़ौती को कई सौगात मिल सकती हैं। रेल बजट को लेकर महीनों से चल रही कवायद के बाद जोन से कई प्रस्ताव रेल मंत्रालय को भेजे गए हैं।

झालावाड़ सिटी से जोधपुर के बीच नई सुपरफास्ट ट्रेन चलाने का प्रस्ताव इस बार फिर भेजा गया है। कोटा से झालावाड़ के लिए नई पैसेंजर का भी प्रस्ताव है। मंदसौर-मेरठ लिंक एक्सप्रेस को अलग ट्रेन बनाकर चलाने का प्रस्ताव भेजा गया है। यह अभी देहरादून एक्सप्रेस के साथ चलती है। कोटा-निजामुद्दीन-कोटा हॉलीडे ट्रेन को नियमित करने, कोटा-श्रीगंगानगर सुपरफास्ट का विस्तार भटिण्डा तक और कोटा-नीमच पैसेंजर का मंदसौर तक विस्तार होने की उम्मीद है। कोटा-जयपुर-रतलाम पैसेंजर का एक्सप्रेस ट्रेन के रूप में जोधपुर तक विस्तार का प्रस्ताव है। कोटा- वैष्णोदेवी कटरा, कोटा-उधमपुर, जयपुर-मैसूर, जयपुर-पुणे और बलसाड़-हरिद्वार साप्ताहिक एक्सप्रेस को दैनिक ट्रेन के रूप में संचालित करने का प्रस्ताव भेजा गया है।
Rail Budget 2016

पिछली घोषणाएं अधूरी
रेल बजट 2015 की गई घोषणाएं पूरी नहीं हुई। पिछले बजट में रेल मंत्री ने निर्भया फण्ड से ट्रेनों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की घोषणा की थी। कोटा मंडल ने 60 लाख रुपए की योजना रेलवे बोर्ड को भेजी थी। इसके तहत स्टेशन पर 65 सीसीटीवी कैमरे लगाने थे। ए-1 और ए श्रेणी के स्टेशनों पर वाई-फाई सुविधा शुरू होनी थी, लेकिन कोटा में अब तक शुरू नहीं हुई। टीटीई को हैंड हेल्ड टर्मिनल उपलब्ध कराने की योजना भी कोटा मंडल में यह योजना शुरू नहीं हो पाई।

खिड़की से ज्यादा ऑनलाइन टिकट बुक करवा रहे यात्री
ट्रेनों में सफर करने वाले यात्री आरक्षण काउंटर पर जाने के बजाय इंटरनेट से टिकट बुक कराने में ज्यादा रुचि ले रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2015-16 में जनवरी माह तक यह तथ्य सामने आया है। देश में इस अवधि में 1648 लाख टिकट बुक किए गए। इनसे 14 हजार 740 करोड़ की आय हुई। आरक्षण केन्द्रों से 1213 लाख टिकट बुक हुए। इनसे 10,684 करोड़ की आय हुई। इसी तरह पश्चिम मध्य रेलवे में इंटरनेट से 38.82 लाख यात्रियों ने टिकट बुक कराए। इससे रेलवे को  271.68 करोड़ की आय हुई। वहीं आरक्षण केन्द्रों पर 27.93 लाख ने आरक्षण कराया। इससे रेलवे को 176.66 करोड़ की आय हुई। 17 जोन में से केवल पूर्वोत्तर सीमा में आरक्षण केन्द्रों से 47.05 लाख टिकट हुए और इंटरनेट से 33.74 लाख टिकट बुक हुए। यह जानकारी रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने सांसद ओम बिरला के सवाल के लिखित जवाब में संसद में दी।

...तो इस साल भी रद्द होंगी ट्रेनें
तकनीकी अभाव से रेलवे पहले ही जूझ रहा है। रेलवे ने कोहरे की काट के लिए ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम टीपीएस लांच किया था, लेकिन अभी तक यह ट्रेनों में पूरी तरह लगाया नहीं गया है। इस कारण सर्दियों में ट्रेनें इसके बेस पर चलने की बजाय कोहरे के बेस पर चलती-अटकती हैं। टी कैश भी एेसा ही उपकरण है। इस साल ही 600 ट्रेनों को दो से चार महीने के लिए सीधे रद्द कर दिया गया था। इस बार भी कोहरे की काट की जाती है या चार माह तक यात्रियों को परेशान होना पड़ेगा, यह सुविधा से जुड़ा बड़ा प्रश्न है। हालांकि इसके लिए सैटेलाइट सिस्टम जीपीएस एडेड जिओ अगमेंटेड निवीगेशन (गगन) लांच हो चुका है लेकिन इसे रेलवे में जोड़ा जाएगा या नहीं, यह देखना होगा। गगन ऐसा सिस्टम है, जिसके माध्यम से ट्रेन ड्राइवर को इंजन के बाहर झांकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ट्रेन के अंदर लगी स्क्रीन ट्रेनों, पटरियों या अन्य विषय वस्तु की स्थिति सैकंड दर सैकंड भेज देगी। ऐसे में किसी भी मौसम में ट्रेनों को बेझिझक चलाया जा सकता है।

जब केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु बजट पेश करेंगे तो देश की नजर उन पर होंगी। देश का हर नागरिक उनसे राहत की उम्मीद पाले है। लेकिन इस बार रेल मंत्रालय से संकेत मिले हैं कि इस बार का रेल बजट पिछले बजट के मुकाबले थोड़ा अधिक कड़ा हो सकता है। यानी आम लोगों की जेबें भविष्य में रेल यात्रा करने में और ढीली हो सकती हैं।

वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली छूट हो सकती है खत्म

नए रेल बजट में रेल मंत्रालय ने इस बात के संकेत दिए हैं कि वरिष्ठ नागरिकों को वातानुकूलित डिब्बों में मिलने वाली छूट से उन्हें वंचित किया जा सकता है। ऐसा रेलवे अपने घाटे को कम करने के लिए कर सकता है।
यात्री व माल भाड़े में बढ़ोतरी

यही नहीं मंत्रालय ने नए बजट में यदि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू की तो रेलवे को लगभग चालीस हजार करोड़ का अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए वह यात्री व माल भाड़े में क्रमश: दस से पांच फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है।
Rail Budget 2016


सीट पर आएगा पिज्जा-बर्गर

रेल मंत्री खाने की गुणवत्ता सुधारने के लिए नई नीति का ऐलान कर सकते हैं जिसके तहत भारतीय रेल की खान पान सेवा यानी आईआरसीटीसी पर ही खाने की गुणवत्ता की जवाबदेही तय कर दी जाएगी। सफर के दौरान आप पैसे देकर अपना मनपसंद खाना ऑनलाइन ऑर्डर कर पाएंगे। इस ई कैटरिंग सुविधा के तहत चायोस, फूडपांडा, केएफसी, डोमिनोज, व्हिम्पीज, हल्दीराम जैसे ब्रांड से करार हो चुका है। फिलहाल 45 स्टेशनों पर ये सुविधा उपलब्ध है जिसे इस रेल बजट में बढ़ाए जाने का ऐलान हो सकता है।

रेल सेवा का विस्तार

नए बजट में रेलवे द्वारा देश के सुदूर पूर्व इलाकों में रेल सेवा के विस्तार संबंधी परियोजनाओं की घोषणा संभव है। इस संबंध में पिछले दिनों केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा किए गए उस फैसले को ध्यान में रखना होगा, जिसमें उसने देश के दूर-दराज अंचलों में रेल विस्तार के लिए संयुक्त उद्यम लगाने की मंजूरी दी है।

इसमें केंद्र व राज्य सरकार द्वारा पचास-पचास करोड़ रुपए की आरंभिक चुकता पूंजी का योगदान होगा। इस हिसाब से सीमेंट, स्टील व ऊर्जा संयंत्रों को कच्चे माल की ढुलाई के मकसद से रेल संपर्क बनाने में मदद मिलेगी।

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ट्रेन में मिलेगा मनोरंजन

रेलमंत्री अपने यात्रियों के मनोरंजन की योजना भी पेश कर सकते हैं। कालका शताब्दी के एक्जिक्यूटिव कोच में प्रयोग पर शुरू की गई इस योजना में यात्रियों को अपने सामने वाली सीट के पिछले हिस्से पर एक एलईडी स्क्रीन मिलती है जिसमें वो फिलहाल 12 फिल्में और 100 वीडियो देख सकते हैं। इस सुविधा में ईयरफोन दिया जाना भी शामिल है। इस सुविधा के विस्तार के ऐलान पर नजरें रहेंगी।

बैंकों से आरक्षण की सुविधा

इसके अलावा नए बजट में बैंकों से आरक्षण की भी घोषणा संभव है। कारण कि रेलवे ने इस संबंध में एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत एक निजी बैंक के साथ करार किया है। ध्यान रहे रेल ने ग्रामीण क्षेत्रों में अपने आरक्षित टिकट बेचने के लिए डाक घरों को पहले से ही अपने कुनबे में शामिल कर चुका है। अब बैंकों से आरक्षण की सुविधा की घोषणा संभव है।

नई ट्रेने चलाने का दबाव न बने

केंद्रीय रेल मंत्री पर इस बार इस बात का भी दबाव है कि जब वे मालगाड़ी और यात्री गाड़ी के लाभ-हानि को अलग-अलग दर्शा सकने की ओर अपने कदम बड़ा रहे हैं तो कायदे से उन्हें सामान्य शयन यान और वातानुकूलित शयन यान का भी लेखा जोखा अलग-अलग क्यों नहीं दिखाया जाए।

इस संबंध में रेल बजट पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि रेलवे मालगाड़ी और सवारी गाड़ी के इस लेखा जोखा में सवारी गाडिय़ां घाटे का सौदा दिखाने लगेंगी और रेल मंत्री को इस घाटे की भरपाई करने के बहाने यात्री किराया बढ़ाने का हर साल मौका मिल जाएगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि रेलवे द्वारा अक्सर यात्री गाडिय़ों को लेकर इस बात का रोना रोया जाता है कि ये ट्रेनें आम आदमी की सुविधा व सेवा की दृष्टि से घाटे में चलाई जा रही हैं। इन्हें नियमित रूप से चलाने के लिए एक यात्री गाड़ी पर दो मालगाड़ी चलानी पड़ती है और इन गाड़ियों का घाटा इतना बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है कि नई टे्रन चलाने का दबाव न बनाया जाए।

रेल मंत्री के सामने क्या-क्या है चुनौती

रेल मंत्री सुरेश प्रभु के सामने सबसे बड़ी चुनौती संचालन अनुपात बेहतर करने की है। उन्होंने पिछले बजट में इसे घटाकर 88.5 फीसदी पर लाने का वादा किया था। वर्ष 2013-14 में यह 93.6 फीसदी और 2014-15 में 91.8 फीसदी था। वैश्विक मानक हालांकि 75-80 फीसदी या उससे कम है।

1989-90 के बाद से देश में रेल मार्गो की कुल लंबाई सिर्फ 0.06 फीसदी बढ़ी है। यात्री संख्या और माल ढुलाई हालांकि इस बीच क्रमश: 3.3 फीसदी और 2.2 फीसदी बढ़ी है। देश में मालगाड़ियों और यात्री गाड़ियों की औसत गति क्रमश: 25 किलोमीटर प्रति घंटा और 70 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह भी दुनिया में सबसे कम है। रेल मंत्री को वेतन में 40 फीसदी (320 अरब रुपये) वृद्धि से निपटने के लिए कोष जुटाने पर भी विचार करना होगा।

Source: http://rajasthanpatrika.patrika.com/story/india/rail-budget-2016-suresh-prabhu-speech-2030572.html