Saturday 27 June 2015

विनोद कापड़ पत्रकारिता से निर्देशक बने और उनकी पहली फिल्म 'मिस टनकपुर हाजिर हो'कल पर्दे पर रिलीज हो गई थी। यह फिल्म राजस्थान की सच्ची घटनाओं पर आधारित हैं। विनोद कापड़ी ने कलाकारों से लेकर लोकेशन तक में देसी टच रखा है। इस फिल्म का मुख्य आकर्षण  भैंस का किरदार हैं और यह एक सामाजिक मुद्दे पर व्यंग्य के रूप में बनायी गई है फिल्म 'मिस टनकपुर हाजिर हो। फिल्म में एक घटना को कटाक्ष के रुप में पेश किया गया है जो काबिले तारीफ है।






यह हरियाणा के एक गांव 'टनकपुर' की कहानी है, जिसका प्रधान सुआलाल (अन्नू कपूर) है। और सुआलाल का पूरे टनकपुर में सिक्का चलता है। वहां का पुलिस प्रशासन भी उसके साथ जमीन के नियमों को भी अपने हिसाब से चलाता है। उसकी पत्नी माया (हृषिता भट्ट) उससे कम उम्र की, सीधी साधी और बड़े सपने देखने वाली महिला है। माया को उसके हम उम्र अर्जुन (राहुल बग्गा) से प्यार हो जाता है और जानकारी पाते ही सुआलाल अपने मित्रों के साथ अर्जुन को प्रताड़ित करना शुरू कर देता है। बात यहां तक पहुंच जाती है कि अर्जुन पर टनकपुर की सबसे अच्छी भैंस से रेप करने का भी इल्जाम लगाया जाता है। फिर कहानी में कई मोड़ आते हैं जो आप फिल्म में ही देखें तो बेहतर है।

अगर जमीनी हकीकत को जांचना-परखना चाहते हैं, यह समझना चाहते हैं कि अपने देश में ऐसा भी होता है और राजनीतिक व्यंग्य का आनंद उठाना चाहते हैं तो इस फिल्म को जरूर देखें। अपने आप में यह एक अनोखी कहानी है और इस तरह के विषय को  अपनी पहली ही फिल्म में उठाकर विनोद कापड़ी ने आंखें खोलने का काम किया है। फिल्म के संवाद कई बार आपको हंसने पर मजबूर करते हैं।अगर आप सामाजिक मुद्दों पर बनी हुई फिल्म से और देश के गांव में चल रही गतिविधियों से इत्तेफाक नहीं रखते तो इसे न देखें। कुल मिलाकर फिल्म फुल मनोरंजन से भरी एक स्टाय़र है।

Source: Rajasthan Patrika Movie Review
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