Monday 12 October 2015

हरियाणा की कुश्ती क्वीन बेटी जिसने मुश्किलों के अखाड़े में हौसलों का दंगल दिखाकर जिंदगी की जंग के साथ ही विरोधियों के दिलों को भी जीत लिया। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मेडलों का अंबार लगा दिया।

यह कहानी है भिवानी शहर की एक ऐसी लड़की की जिसकी 13 साल की उम्र में उसकी शादी कर दी गई। 14 की उम्र में जुड़वा बच्चों की मां भी बनी, लेकिन बचपन से पहलवान बनने का सपना संजोए रखा, टूटने नहीं दिया।

आखिरकार नीतू 2011 में अखाड़े में उतरी। परिवार चलाने के लिए घर में सिलाई करती थी। 21 साल की उम्र में नेशनल स्तर की महिला पहलवान बन चुकी हैं। अब ओलंपिक की तैयारी के लिए रोजाना प्रैक्टिस को घर से 40 किलोमीटर दूर जाती हैं।


विरोध के चलते परिवारवालों ने जल्द कर दी शादी
नीतू बताती हैं कि बचपन में परिवार वालों ने अखाड़े में जाने का विरोध किया। इसी के चलते 13 साल की उम्र में भिवानी में ही अधेड़ व्यक्ति से शादी कर दी। नीतू मायके आ गई। उसी साल रोहतक के महम ब्लॉक के बेड़वा में संजय कुमार के साथ दूसरी शादी हो गई। 14 साल की उम्र में जुड़वां बच्चों की मां बनने के साथ ही उसका पहलवान बनने का सपना पूरी तरह से खत्म होता दिखने लगा।

पति का साथ मिला, लड़कों के अखाड़ों में की प्रैक्टिस
2011 में अपने पति संजय को पहलवान बनने के सपने के बारे में बताया। संजय ने साथ दिया और रोजाना भिवानी के अखाड़े में जाना शुरू कर दिया। वहां लड़कों के अखाड़े में प्रैक्टिस करना बड़ी चुनौती थी, लेकिन हिम्मत नहीं हारी।
उपलब्धियां
- नवंबर 2014 में नेशनल सीनियर रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक
- अप्रैल 2015 में जूनियर नेशनल रेसलिंग चैंपियनशिप में सिल्वर।
- जनवरी 2015 में नेशनल गेम्स में कांस्य पदक झटका।
- ब्राजील में अगस्त 2015 में जूनियर वल्र्ड चैंपियनशिप में भागीदारी

ओलंपिक में खेलने का सपना
नीतू का सपना ओलंपिक खेलने का है। वह कहती हैं कि अगर जिंदगी के उतार-चढ़ाव में टूट जाती तो इस मुकाम तक नहीं पहुंचती। अगर जज्बा व हिम्मत है तो इंसान जिंदगी में कुछ भी कर सकता है .. 21 की उम्र में कुश्ती चैंपियन

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