जैसे-जैसे
वक्त में बदलाव आया है,
वैसे ही
लोगों में सैक्स के प्रति
नजरिए में भी बदलाव आया है।
सैक्स अब सिर्फ महिला और पुरूष
के बीच ही नहीं, बल्कि
एक ही लिंग के दो व्यक्तियों
के बीच भी होने लगा है।
समलैंगिकता
अब कोई टैबू नहीं रह गया है।
ये बातें समलैंगिकता पर विस्तृत
रूप से चर्चा करते हुए लेखक
देवदत्त पटनायक ने कही। इस
विषय पर कटाक्ष करते हुए
उन्होंने कहा कि सेक्स को
हमेशा नकारात्मक नजरिए से
देखा जाता है और लोग इस पर खुल
कर बात भी नहीं करते।
बैठक
में मौजूद लेखिका सारा वाटर्स
ने बताया कि समलैंगिकता लोगों
को जल्दी आकर्षित तो करती है
पर लोग इसे शर्म समझते हैं,
इसलिए ज्यादा
चर्चा करना नहीं चाहते।
मजाकिया
लहजे में उन्होंने उम्मीद
जताई कि आने वाले समय में लोग
समलैंगिकों की शादी में लड़कों
से पूछा जाएगा कि आपको खाना
बनाना आता है या नहीं।
Source: JLF 2015
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